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सिरोही (Sirohi) :-
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बीटल (Beetal) :-
इसका शरीर आकार से बड़ा तथा काले रंग पर सफेद या भूरे धब्बे पाए जाते है बाल छोटे तथा चमकीले होते हैं। कान लम्बे लटके हुए तथा सर के अन्दर मुड़े हुए होते हैं। नाक उभरा रहता है ।
वयस्क नर का वजन 55-65 किलो ग्राम तथा मादा का वजन 45-55 किलो ग्राम होता है। इसके वच्चों का जन्म के समय वजन 2.5-3.0 किलो ग्राम होता है। इसका शरीर गठीला होता है। जाँघ के पिछले भाग में कम घना बाल रहता है। इस नस्ल की बकरियाँ औसतन 1.25-2.0 किलो ग्राम दूध प्रतिदिन देती है।
इस नस्ल की बकरियाँ सलाना बच्चे पैदा करती है एवं एक बार में करीब 60% बकरियाँ एक ही बच्चा देती है।
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ब्लैक बंगाल ( Black Bengal ) :-
वयस्क नर का वजन करीब 18-25 किलो ग्राम होता है जबकि मादा का वजन 15-18 किलो ग्राम होता है.
इस नस्ल की प्रजनन क्षमता काफी अच्छी है। औसतन यह 2 वर्ष में 3 बार बच्चा देती है एवं एक वियान में 2-3 बच्चों को जन्म देती है। कुछ बकरियाँ एक वर्ष में दो बार बच्चे पैदा करती है तथा एक बार में 4-4 बच्चे देती है। इस नस्ल की मेमना 8-10 माह की उम्र में वयस्कता प्राप्त कर लेती है तथा औसतन 15-16 माह की उम्र में प्रथम बार बच्चे पैदा करती है।
जमुनापारी (Jamunapari) :-
यह उत्तर प्रदेश के इटावा जिला एवं गंगा, यमुना तथा चम्बल नदियों से घिरे क्षेत्र में पायी जाती है एंग्लोनुवियन बकरियों के विकास में जमुनापारी नस्ल का विशेष योगदान रहा है
वयस्क नर का औसत वजन 70-90 किलो ग्राम तथा मादा का वजन 50-60 किलो ग्राम होता है। इसके बच्चों का जन्म समय औसत वजन 2.5-3.0 किलो ग्राम होता है। इस नस्ल की बकरियाँ अपने गृह क्षेत्र में औसतन 1.5 से 2.0 किलो ग्राम दूध प्रतिदिन देती है। इस नस्ल की बकरियाँ दूध तथा मांस उत्पादन हेतु उपयुक्त है। बकरियाँ सलाना बच्चों को जन्म देती है तथा एक बार में करीब 90 प्रतिशत एक ही बच्चा उत्पन्न करती है।
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गद्दी (Gaddi):- “WhiteHimalayan goat”
बारबरी (Barbari) :-
यह छोटे कद की होती है परन्तु इसका शरीर काफी गठीला होता है। शरीर पर छोटे-छोटे बाल पाये जाते हैं। शरीर पर सफेद के साथ भूरा या काला धब्बा पाया जाता है।यह देखने में हिरण के जैसा लगती है। कान बहुत ही छोटा होता है। थन अच्छा विकसित होता है
वयस्क नर का औसत वजन 35-40 किलो ग्राम तथा मादा का वजन 25-30 किलो ग्राम होता है। यह घर में बांध कर गाय की तरह रखी जा सकती है।
इसकी प्रजनन क्षमता भी काफी विकसित है। 2 वर्ष में तीन बार बच्चों को जन्म देती है तथा एक वियान में औसतन 1.5 बच्चों को जन्म देती है। इसका बच्चा करीब 8-10 माह की उम्र में वयस्क होता है।
इस नस्ल की बकरियाँ मांस तथा दूध उत्पादन हेतु उपयुक्त है। बकरियाँ औसतन 1.0 किलो ग्राम दूध प्रतिदिन देती है।
सोजत (Sojat) :–
पहले इस नस्ल की बकरी को दूध के लिए लोग इस्तेमाल करते थे मगर आज लोग इसे मांस के लिए भी अपने इस्तेमाल में लाते हैं सोजत बकरी में यह ख़ास बात होता हैं की ज्यादा तर बकरी यह बकरा के सींग नहीं होते हैं यह बकरी का रंग सफेद होता हैं और इनके शरीर में छोटे छोटे काले धब्बे होते हैं इनके कान 8 से 10 इंच तक लम्बे होते हैं
यह नस्ल की बकरिया बकरी फार्म के लिए इस्तेमाल होती हैं जो लोग बकरी पालन करने की सोच रहे हैं उनके लिए यह नस्ल की बकरी बहुत ही लाभदायक होगी यह बहुत ही खाने पीने वाली बकरी हैं और यह 3 month में 25 से 30 kg तक बढ़ सकती हैं यह बकरी 14 month में 2 बार बच्चे देती हैं और 40% सिंगल और 60% जुड़वाँ बच्चे देती हैं और यह बकरे सभी मौसम के लिए उचित होते हैं यह बकरी औसत एक दिन में 1.5 से 2 लीटर दूध देती हैं
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सुरति (Surti) :–
इनके छोटे छोटे कान और बाल होते हैं यह सफेद रंग की होती हैं और इनका शरीर का बाल चमकीला होता हैं इनकी जनसंख्या भारत में बहुत ही कम हैं गिने चुने कुछ राज्य में पाई जाती हैं
सुरति नस्ल की बकरिया बहुत ही लोकप्रिय हैं क्युकी इनकी दूध देने की छमता बाकी बकरियों से अच्छी होती हैं इन्हें ज्यादातर लोग दूध के लिए पालते हैं यह बकरिया रोज कम से कम 2 kg दूध देती हैं इनकी चलने की छमता बहुत कम होती हैं
ओस्मनाबादी (Osmanabadi) –
ओस्मनाबादी बकरिया की नस्ल ज्यादा तर तैलगंना, कर्नाटक,और महाराष्ट्र के कुछ राजय लातूर, तुलजापुर में पाई जाती हैं इनका रंग 70% कला होता हैं और 30% सफेद यह भूरे रंग के होते हैं इनका शरीर का आकर बड़ा होता हैं और पेअर लम्बे लम्बे होते हैं
यह नस्ल की बकरिया 16 से 19 महीने की उमर में बच्चा देती हैं यह साल में 2 से 3 बार बच्चे दे सकती हैं ओस्मनाबादी बकरियों को ज्यादा तर मांस और दूध के लिए इस्तेमाल में लाया जाता हैं इनकी पर्जन्य छमता अच्छी होने के कारन यह बहुत ही लोकप्रिय बकरी की नस्ल में से एक हैं
यह बकरिया एक दिन में कम से कम 1 से 1.5 लीटर दूध देती हैं और यह किसी में मौसम यह सूखे की स्थिति में भी आराम से रह सकती हैं इनका मांस बहुत ही स्वादिष्ट होती हैं और यह नस्ल की बकरी की मांग लोगो में बहुत ज्यादा हैं यह बकरी की कीमत 4 से 6 हज़ार तक होती हैं अपने बकरी फार्म में पालन कर के आप यह बकरी से ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकते हैं
विदेशी बकरियों की प्रमुख नस्लें (Major breeds of foreign goats )
यह बकरिया की बढ़ने की छमता बहुत ज्यादा होता हैं यह तीन महीना में 30 से 35 kg की हो जाती हैं और सब से बड़ी बात यह की इसे हर मौसम में ढलने और बिमारी से लड़ने की गज़ब की छमता होती हैं
बोअर बकरी ज्यादा तर सफ़ेद रंग और उसका सर भूरा होता हैं और उनके लम्बे लटकते हुये कान होते हैं इनमें बढ़ने और बच्चा देने की छमता सब बकरियों से अलग होती हैं बोअर बकरा ज्यादा तर प्रजनन के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं यह बकरी बहुत ही ज्यादा महंगी होती हैं क्युकी यह भारत में बहुत ही काम पाई जाती हैं
अल्पाइन (Alpine) :-
एंग्लोनुवियन (Anglo-Nubian) :-
सानन ( Saanen ):-
टोगेनवर्ग (Toggenburg) :-
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My Name Suresh Bana , I Live in Rawatsar
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SURESH BANA
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